श्रीलक्ष्मी-नारायण पूजन की विधि
सामग्री
देव मूर्ति के स्नान के लिए तांबे का पात्र, तांबे का लोटा, जल का कलश, दूध, देव मूर्ति को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र व आभूषण। चावल, कुमकुम, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, फूल, अष्टगंध। तुलसीदल, तिल, जनेऊ। प्रसाद के लिए फल, दूध, मिठाई, नारियल, पंचामृत, सूखे मेवे, शक्कर, पान, दक्षिणा में से जो भी हो।
सकंल्प
किसी विशेष मनोकामना के पूरी होने की इच्छा से किए जाने वाले पूजन में संकल्प की जरुरत होती है। निष्काम भक्ति बिना संकल्प के भी की जा सकती है। पूजन शुरू करने से पहले सकंल्प ले। संकल्प करने से पहले हाथों में जल, फूल व चावल लें। सकंल्प में जिस दिन पूजन कर रहे हैं उस वर्ष, उस वार, तिथि उस जगह और अपने नाम को लेकर अपनी इच्छा बोलें। अब हाथों में लिए गए जल को जमीन पर छोड़ दें।
संकल्प का उदाहरण
जैसे 21/4/2015 को श्री लक्ष्मी नारायण का पूजन किया जाना है। तो इस प्रकार संकल्प लें। मैं ( अपना नाम बोलें ) विक्रम संवत् 2072 को, वैशाख मास के तृतीया तिथि को मंगलवार के दिन, कृतिका नक्षत्र में, भारत देश के मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन शहर में महाकालेश्वर तीर्थ में इस मनोकामना से (मनोकामना बोलें ) श्री लक्ष्मी-नारायण का पूजन कर रही / रहा हूं।
श्री लक्ष्मी और नारायण पूजन की सरल विधि:-
सर्वप्रथम भगवान गणेश पूजन करें। गणेश जी को स्नान कराएं। वस्त्र अर्पित करें। गंध, पुष्प, अक्षत से पूजन करें। अब लक्ष्मी और नारायण का पूजन शुरू करें। देवमूर्ति में लक्ष्मी और नारायण को स्नान कराएं। स्नान पहले जल से फिर पंचामृत से और वापिस जल से स्नान कराएं। लक्ष्मी और नारायण को वस्त्र अर्पित करें। वस्त्रों के बाद आभूषण पहनाएं। अब पुष्पमाला पहनाएं। सुगंधित इत्र अर्पित करें। अब तिलक करें। तिलक के लिए कुमकुम का प्रयोग करें। अब धूप व दीप अर्पित करें। फूल अर्पित करें। श्रद्धानुसार घी या तेल का दीपक लगाएं। आरती करें। आरती के पश्चात् परिक्रमा करें। अब नेवैद्य अर्पित करें। ‘‘ ऊँ नमो नाराणाय ’’कहते हुए भगवान शिव को अष्टगंध का तिलक लगाएं। ‘‘ऊँ लक्ष्मयै नमः’’ कहते हुए माता पार्वती को कुमकुम का तिलक लगाएं। लक्ष्मी-नारायण के पूजन के समय ‘‘ऊँ लक्ष्मी नारायणाभ्यां नमः ’’मंत्र का जप करते रहें।